
रिपोर्टर — माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली
रायबरेली जिले के चंदापुर थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव मुरैनी मजरे पुरे रानी में रविवार की सुबह एक बेहद ही दुखद घटना घटित हुई। यहां इंटरमीडिएट की छात्रा नेहा ने अपने ही घर के अंदर फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली। परिवार और गांव के लोगों के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं रही। वह मात्र 11वीं कक्षा की छात्रा थी, जिसके सपनों की उम्र अभी शुरू ही हुई थी, लेकिन क्यों उसने ऐसा कदम उठाया, यह अब तक रहस्य बना हुआ है।
नेहा के माता-पिता, पिता छेद्दू और मां बिटिया रानी, उस समय घर से बाहर किसी जरूरी कार्य से गए हुए थे। जब वे कुछ घंटों बाद लौटे, तो उन्होंने देखा कि कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था। कई बार आवाज़ देने और खटखटाने के बाद भी कोई उत्तर नहीं मिला, तो चिंता बढ़ गई। परिजनों ने पड़ोसियों को बुलाया और दरवाज़े को जोर से धक्का देकर खोला। अंदर का दृश्य देखकर सभी के होश उड़ गए। नेहा छत के कुंडे से अपने दुपट्टे के सहारे लटकी हुई थी।
घटना के बाद तुरंत ही उसे नीचे उतारा गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गांव में मातम फैल गया और हर कोई स्तब्ध था। जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखों में आंसू आ गए। सूचना मिलते ही चंदापुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा और पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया।
थाना प्रभारी ने बताया कि यह मामला प्रथम दृष्टया आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। नेहा के कमरे की तलाशी ली गई है और उसका मोबाइल फोन तथा अन्य निजी सामान जब्त कर लिए गए हैं, ताकि उसकी मानसिक स्थिति और संभावित कारणों की गहराई से जांच की जा सके।
नेहा पढ़ाई में ठीक थी और व्यवहार से भी शांत एवं सरल स्वभाव की थी। उसके इस तरह के कदम से परिवार ही नहीं, पूरा गांव हैरान है। न तो किसी प्रकार की पारिवारिक कलह सामने आई है, और न ही कोई प्रेम प्रसंग अथवा परीक्षा में असफलता की बात। आत्महत्या का कारण अब भी रहस्य बना हुआ है।
आज के दौर में जब युवा पीढ़ी सोशल मीडिया, पढ़ाई के दबाव, रिश्तों की उलझन और आत्म-समझदारी की कशमकश में जी रही है, तब ऐसे मामले मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता खड़ी करते हैं। यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने बच्चों को सही मायनों में समझ पा रहे हैं? क्या हम उनके मन की बातों को सुन पा रहे हैं?
गांव में अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी। नेहा का शव जैसे ही घर पहुंचा, तो उसकी मां बिलख उठी और पिता मौन हो गए। परिजनों के करुण क्रंदन से माहौल भारी हो गया। चारों ओर एक ही सवाल गूंज रहा था—नेहा, तूने ऐसा क्यों किया?
यह घटना सिर्फ एक दुखद समाचार नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है। किशोरों की मानसिक स्थिति को लेकर स्कूल, परिवार और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। बच्चों को सिर्फ अंक और सफलता नहीं, भावनात्मक सुरक्षा भी चाहिए होती है।
इस संवेदनशील मुद्दे को नजरअंदाज करना अब विकल्प नहीं रह गया है। नेहा की आत्महत्या हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि ज़िन्दगी की डोर बेहद नाजुक होती है और कभी-कभी मुस्कुराहटों के पीछे गहरी खामोशी छुपी होती है, जिसे अगर समय रहते न समझा जाए, तो बहुत कुछ खोना पड़ सकता है।