
ग्राम पंचायत पिपरा पदुम में लगी जन चौपाल, डीएम नेहा शर्मा ने मौके पर सुनीं समस्याएं, दिए त्वरित समाधान के निर्देश 
रिपोर्टर: आशीष श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश
गोंडा, 4 जून 2025।
गोंडा जिले की प्रशासनिक कार्यशैली में एक बार फिर जमीनी स्तर पर पारदर्शिता और सक्रियता देखने को मिली जब जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने विकासखण्ड झंझरी के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरा पदुम में जन चौपाल आयोजित की। इस अवसर पर उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं स्वयं सुनीं और तत्काल संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए।
इस चौपाल में बुनियादी सुविधाओं से लेकर कल्याणकारी योजनाओं तक से जुड़ी कई समस्याएं सामने आईं, जैसे—बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी, शौचालय निर्माण में लापरवाही, राशन वितरण में अनियमितता, वृद्धावस्था पेंशन की देरी, आवास योजना की लाभार्थी सूची में गड़बड़ी आदि।
प्रशासन गांव की चौखट पर
जन चौपाल में उपस्थित ग्रामीणों ने सीधे जिलाधिकारी के समक्ष अपनी समस्याएं रखीं। डीएम ने न केवल उन्हें गंभीरता से सुना, बल्कि हर विभाग के अधिकारी को मौके पर ही जवाबदेह बनाया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “जनता की शिकायतें किसी फ़ाइल में नहीं रुकेंगी, उनका समाधान वहीं होगा जहाँ समस्या है।”
डीएम ने यह भी कहा कि यह चौपाल केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि प्रशासन की यह प्राथमिकता है कि सरकारी योजनाएं सही पात्र लोगों तक पहुंचे और उनका लाभ समय से दिया जाए।
मौके पर मिली राहत
गांव के कई बुजुर्गों ने वृद्धावस्था पेंशन की रुकावट की बात कही, जिस पर समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिया गया कि लंबित पेंशन की फाइलें उसी सप्ताह निपटाई जाएं। वहीं, नाली निर्माण में हुए विवाद को दोनों पक्षों की उपस्थिति में सुलझाया गया।
एक ग्रामीण महिला द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम न आने की शिकायत पर जिला विकास अधिकारी को निर्देश दिया गया कि अगले सर्वे में पात्रता सुनिश्चित की जाए।
जिम्मेदारी और पारदर्शिता का संदेश
इस चौपाल के माध्यम से जिलाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि लापरवाही, भ्रष्टाचार या अनदेखी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि यदि किसी योजना में कोई गड़बड़ी हो रही है तो वे सीधे प्रशासन से संपर्क करें।
प्रशासनिक टीम रही पूर्ण रूप से सक्रिय
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, समाज कल्याण अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, और अन्य जनपद स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। सभी को निर्देशित किया गया कि वे नियमित रूप से गांवों का निरीक्षण करें और समस्याओं का मौके पर ही समाधान करें।
निष्कर्ष:
गोंडा प्रशासन की यह पहल न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि शासन को जमीनी स्तर तक उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी है। नेहा शर्मा जैसी अधिकारी जब स्वयं फील्ड में उतरती हैं, तो जनता को विश्वास मिलता है कि उनकी समस्याएं सुनी भी जा रही हैं और हल भी।