
रायबरेली में दर्दनाक हादसा: ट्रक ने ननद-भाभी को कुचला, मासूम बच्चा चमत्कारिक रूप से बचा
रायबरेली | रिपोर्टर: संदीप मिश्रा
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में सोमवार को हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। ओवरलोड और तेज रफ्तार ट्रकों की लापरवाही ने एक ही परिवार की दो महिलाओं की जान ले ली, जबकि उनके साथ मौजूद 9 महीने का मासूम बच्चा किसी चमत्कार की तरह बच गया। यह हादसा सरेनी थाना क्षेत्र के धूरे मऊ चौराहा, गल्ला मंडी के पास हुआ।
जानकारी के अनुसार, सरेनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बरुआ बाग मुजरा रमईपुर निवासी आलोक कुमार अपने परिवार के साथ सिमरी जाने की तैयारी में था। सोमवार सुबह वह अपनी पत्नी नीतू देवी (39 वर्ष) और बहन अंजू देवी (25 वर्ष) के साथ सड़क किनारे वाहन का इंतजार कर रहा था। वह खुद पास ही लघुशंका के लिए गया था कि तभी मौरंग से लदा एक तेज रफ्तार अनियंत्रित डंपर (UP 35 AT 2935) वहां आ पहुंचा और दोनों महिलाओं को कुचलता हुआ निकल गया।
हादसे की भयावहता इतनी थी कि दोनों महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई। उनका शव क्षत-विक्षत हालत में सड़क पर पड़ा मिला। हादसे के समय अंजू देवी की गोद में उसका 9 महीने का बच्चा भी था, जो टक्कर के बाद दूर छिटक गया। बच्चा मामूली रूप से घायल हुआ, लेकिन उसकी जान बच गई। यह दृश्य देखकर मौके पर मौजूद लोग सन्न रह गए।
दुर्घटना के तुरंत बाद चालक वाहन छोड़कर फरार हो गया। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं, डंपर को जब्त कर लिया गया है और फरार चालक की तलाश की जा रही है।
इस हादसे के बाद गांव में मातम पसर गया है। एक साथ दो अर्थियों के उठने की खबर से पूरा गांव स्तब्ध है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अशोक कुमार और उनके परिजन बदहवासी की हालत में हैं।
पुलिस की शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि हादसा तेज रफ्तार और वाहन चालक की लापरवाही की वजह से हुआ। सरेनी थाना प्रभारी शिवाकांत पांडे ने बताया कि हादसे में दो महिलाओं की मौत हुई है जबकि एक बच्चा सुरक्षित है। डंपर को जब्त कर लिया गया है और चालक की तलाश की जा रही है। शवों का पंचनामा कर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
यह पहली बार नहीं है जब रायबरेली में ओवरलोड और बेकाबू ट्रकों ने निर्दोष लोगों की जान ली हो। आए दिन सड़कों पर ऐसे हादसे हो रहे हैं, जिनका मुख्य कारण तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग और नियमों की अनदेखी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ट्रक और डंपर चालक अक्सर नंबर प्लेट पर कालिख पोत कर चलते हैं ताकि उनकी पहचान न हो सके। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ चालक बिना वैध लाइसेंस और प्रशिक्षण के ही भारी वाहन चला रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ विभाग इस ओर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। यदि समय रहते ऐसे वाहनों पर रोक लगाई जाती और ओवरलोडिंग पर सख्ती की जाती तो शायद यह हादसा टल सकता था।
इस हादसे ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। रायबरेली और अन्य जिलों में ओवरलोड ट्रकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग उठती रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस और असरदार पहल नहीं हो पाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। इसमें सबसे पहले ओवरलोडिंग पर रोक, ट्रक चालकों की नियमित जांच, सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड जैसी नीतियों को लागू करना होगा। इसके साथ ही नंबर प्लेट पर छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
इस हादसे की खबर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि फरार चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और मृतकों के परिवार को न्याय और मुआवजा मिले। वहीं यह भी मांग की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
रायबरेली में यह सड़क दुर्घटना सिर्फ दो जिंदगियों का अंत नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल है उस तंत्र पर, जो जिम्मेदार होते हुए भी आंख मूंदे बैठा है। एक परिवार उजड़ गया, एक मासूम बच्चा मां की गोद से हमेशा के लिए वंचित हो गया, और प्रशासन अब भी जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया की बात कर रहा है।
इस हादसे ने यह साबित कर दिया है कि जब तक कानून के डर से लोग वाहन नहीं चलाएंगे और जब तक प्रशासन जागरूक नहीं होगा, तब तक सड़कों पर ऐसे दर्दनाक दृश्य बार-बार दोहराए जाते रहेंगे।