प्रतापगढ़ के नवाबगंज क्षेत्र में हरे पेड़ों का अवैध कटान जारी, प्रशासन मौन

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प्रतापगढ़ के नवाबगंज क्षेत्र में हरे पेड़ों का अवैध कटान जारी, प्रशासन मौन

रिपोर्टर: मायालक्ष्मी मिश्रा, प्रतापगढ़

प्रतापगढ़, 31 मई 2025 — उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में स्थित नवाबगंज थाना क्षेत्र के जोगवारा गांव में अवैध रूप से हरे-भरे नीम और महुआ के पेड़ों की कटाई का मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है। यह कार्य बिना किसी कानूनी अनुमति के खुलेआम हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र में एक दबंग ठेकेदार द्वारा बिना वन विभाग की अनुमति के दर्जनों हरे पेड़ दिनदहाड़े काट दिए गए। यह सिलसिला केवल एक गांव तक सीमित नहीं, बल्कि आसपास के कई क्षेत्रों में भी चल रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सब वन विभाग और थाना पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है, जो कि एक गंभीर विषय है।


पेड़ों की अवैध कटाई से बढ़ता पर्यावरणीय संकट

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से क्षेत्र में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है। नीम और महुआ जैसे पेड़, जो न केवल छाया और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, उनका यूं अवैध रूप से कट जाना चिंता का विषय है।

पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में गांवों में जलवायु परिवर्तन, सूखा और गर्मी की तीव्रता जैसे संकट और गहरे हो सकते हैं। साथ ही जैव विविधता को भी नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि ये पेड़ कई पक्षियों और जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास होते हैं।


वन विभाग और प्रशासन की चुप्पी

इस पूरे मामले में वन विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जब भी कोई शिकायत होती है, अधिकारी केवल औपचारिकता निभाकर चुप बैठ जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वन विभाग की चुप्पी किसी मिलीभगत का संकेत है?

जब स्थानीय मीडिया ने वन विभाग से संपर्क किया तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। वहीं, पुलिस प्रशासन भी मामले में चुप्पी साधे हुए है।


कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन

भारतीय वन अधिनियम, 1927 और उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत बिना अनुमति किसी भी पेड़ की कटाई दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद ठेकेदारों द्वारा खुलेआम कटाई किया जाना प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट रूप से कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के पेड़ों की कटाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने हुए हैं।


स्थानीय लोगों की आवाज

ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझे और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे। उन्होंने यह भी अपील की है कि:

  • पेड़ों की अवैध कटाई पर रोक लगे
  • संबंधित ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो
  • वन विभाग की जिम्मेदारी तय हो
  • क्षेत्र में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए

क्या कर सकता है प्रशासन?

  • सीसीटीवी और ड्रोन सर्वे: संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए।
  • वन कर्मियों की जवाबदेही तय हो: जिन्हें इलाके की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है, उन पर कार्रवाई हो।
  • पब्लिक अवेयरनेस: ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण की रक्षा के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

निष्कर्ष

नवाबगंज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। यह जरूरी है कि शासन-प्रशासन आंखें खोले और दोषियों पर कठोर कार्रवाई कर एक सख्त संदेश दे।

अवैध पेड़ कटाई जैसे मुद्दे केवल पर्यावरण से नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों से भी जुड़े होते हैं। अगर आज कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाला कल और भी भयावह हो सकता है।

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