
मिश्रखेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाएं हुई बेपटरी, समय पर नहीं खुलता केंद्र, ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी
रिपोर्टर: संदीप मिश्रा, रायबरेली
रायबरेली, 31 मई 2025 – रायबरेली जिले के ब्लॉक सताँव अंतर्गत मिश्रखेड़ा गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre – PHC) में अव्यवस्था और लापरवाही का आलम कुछ ऐसा है कि शुक्रवार को सुबह निर्धारित समय के एक घंटे बाद तक भी केंद्र पर ताला लटका मिला। GPS कैमरे से रिकॉर्ड की गई तस्वीरें और वीडियो इस बात के गवाह हैं कि सुबह 8:56 बजे तक न कोई डॉक्टर मौजूद था, न ही कोई मेडिकल स्टाफ। यह स्थिति न केवल सरकारी दावों की पोल खोलती है, बल्कि ग्रामीणों की जान जोखिम में डालने वाली है।
“स्वास्थ्य केंद्र” या सिर्फ़ एक ताला बंद इमारत?
सरकारी निर्देशों के अनुसार, PHC का समय सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक निर्धारित है। लेकिन शुक्रवार को जब समाज तक मीडिया टीम मौके पर पहुँची, तो पाया गया कि PHC के गेट पर अब भी ताला जड़ा हुआ था। यह स्थिति तब है जब यह केंद्र क्षेत्र के दर्जनों गाँवों के लिए एकमात्र सरकारी स्वास्थ्य सेवा का केंद्र है।
ग्रामीणों का फूटा ग़ुस्सा
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। अक्सर डॉक्टर और स्टाफ देर से आते हैं या कुछ दिन तो आते ही नहीं। ऐसी स्थिति में मरीजों को या तो प्राइवेट क्लीनिक का रुख़ करना पड़ता है या इलाज के बिना वापस लौटना पड़ता है। यह विशेष रूप से तब चिंता का विषय बन जाता है जब किसी को इमरजेंसी में प्राथमिक इलाज की आवश्यकता होती है।
ग्राम निवासी रमेश पाल ने बताया, “हम गरीब लोग हैं, हर बार प्राइवेट डॉक्टर के पास जाना मुमकिन नहीं। सरकारी केंद्र पर भरोसा किया था, लेकिन यहाँ तो समय पर ताला खुलता ही नहीं है।”
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवालिया निशान
यह मामला ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे “आयुष्मान भारत”, “मिशन इंद्रधनुष”, “स्वस्थ भारत अभियान” जैसे प्रोग्राम तभी सफल होंगे, जब स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र सुचारू रूप से संचालित हों। यदि डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी समय पर नहीं आएंगे, तो इन योजनाओं का लाभ केवल कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा।
CMO का जवाब नहीं, शासन-प्रशासन मौन
इस गंभीर लापरवाही को लेकर समाज तक मीडिया ने जब रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से बात करने का प्रयास किया, तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। इससे यह समझना मुश्किल नहीं कि शासन स्तर पर भी जनता की समस्याओं के प्रति कितनी उदासीनता है।
Digital India और Health Infrastructure का विरोधाभास
एक तरफ केंद्र सरकार “Digital India” और “Health for All” जैसे बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां करती है। PHC मिश्रखेड़ा जैसे केंद्र, जो गाँवों के लोगों की पहली स्वास्थ्य आशा होते हैं, उनकी ऐसी हालत सुधार की सख्त मांग करती है।
जनता ने उठाई कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी रायबरेली, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और उत्तर प्रदेश सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते कठोर अनुशासनात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा जाएंगी।
ग्राम पंचायत सदस्य सुरेश यादव ने कहा, “हमने पहले भी कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब मीडिया के माध्यम से हमारी आवाज़ ऊपर तक पहुँचे, यही उम्मीद है।”
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समाधान क्या है?
1. PHC स्टाफ की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया जाए।
2. हफ्तावार निरीक्षण रिपोर्ट जिला स्तर पर सार्वजनिक की जाए।
3. ग्रामीणों के लिए 24×7 हेल्पलाइन हो जहां वे अनुपस्थिति की जानकारी तुरंत दे सकें।
4. जो डॉक्टर या स्टाफ बार-बार अनुपस्थित पाए जाएं, उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
5. जन भागीदारी मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए, ताकि ग्रामीण स्वयं स्वास्थ्य केंद्रों की निगरानी कर सकें।
निष्कर्ष
मिश्रखेड़ा का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक Systemic Failure का जीता-जागता उदाहरण है। अगर स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव ही कमजोर होगी, तो “स्वस्थ भारत” का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा। यह सिर्फ़ एक स्वास्थ्य केंद्र की बात नहीं है, यह सवाल है सरकारी व्यवस्था की जवाबदेही का, जो अभी के हालात में नदारद दिखाई देती है।