
नवाबगंज के तुलसीपुर माझा में अवैध मिट्टी खनन का खुला खेल
रिपोर्ट: आशीष श्रीवास्तव, नवाबगंज, गोंडा
गोंडा जिले के नवाबगंज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत तुलसीपुर माझा गांव इन दिनों अवैध मिट्टी खनन का केंद्र बनता जा रहा है। खास बात यह है कि यह सब कुछ प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन कार्रवाई की गति बेहद धीमी और सुस्त है।
सोमवार रात की घटना से उठा बवाल
ताजा मामला सोमवार रात का है, जब गुरुशरण पुरवा मजरा में रहने वाले बलवंत के खेत में कुछ दबंगों ने जबरन घुसकर अवैध मिट्टी खनन (illegal soil mining) शुरू कर दिया। बलवंत के विरोध करने के बावजूद खनन कार्य नहीं रुका। पीड़ित ने तत्काल Dial 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी और साथ ही संबंधित थाने में भी जानकारी दी, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।
SP से की शिकायत, तब जाकर पहुंची पुलिस
जब स्थानीय पुलिस से कोई सहायता नहीं मिली तो पीड़ित बलवंत ने खुद गोंडा के पुलिस अधीक्षक (SP) को फोन कर मामले की जानकारी दी। SP के आदेश पर पुलिस मौके पर पहुंची, जहां खनन में लगी ट्रैक्टर और मिट्टी खोदने वाली रैपर मशीन को बरामद कर थाने लाकर सीज कर दिया गया।
थाने में दी तहरीर, मुकदमा दर्ज कराने की मांग
मंगलवार को पीड़ित बलवंत ने थाने पहुंचकर विपक्षियों के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर उनके विरुद्ध मजबूरी में मिट्टी खोदने, जमीन पर अतिक्रमण और धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई है।
थाना अध्यक्ष ने की पुष्टि
थाना नवाबगंज के प्रभारी अभय सिंह ने बताया कि मामले की सूचना मिलने के बाद मौके से खनन में प्रयुक्त वाहन जब्त कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
SDM तरबगंज ने दिए सख्त निर्देश
उपजिलाधिकारी तरबगंज राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि क्षेत्र में अवैध खनन की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। उन्होंने कहा, “अगले दो दिनों में विशेष टीम का गठन कर क्षेत्र में अभियान चलाया जाएगा। जो भी दोषी होगा, उस पर Mining Act के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
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खनन माफिया के हौंसले बुलंद, प्रशासन सुस्त
इस घटना से एक बार फिर साफ हो गया है कि क्षेत्र में खनन माफिया (Mining Mafia in Uttar Pradesh) का दबदबा बना हुआ है। रात के अंधेरे में खेतों से मिट्टी निकालकर अवैध रूप से बेचने का गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा है। इसके पीछे स्थानीय रसूखदारों की शह होने की भी बातें सामने आती रही हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। खनन के कारण खेतों की उपजाऊ मिट्टी नष्ट हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
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राजस्व और पर्यावरण को भी हो रहा नुकसान
अवैध मिट्टी खनन न सिर्फ किसानों की जमीन बर्बाद कर रहा है, बल्कि सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। खनन माफिया बिना रॉयल्टी दिए मिट्टी निकालकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा यह गतिविधि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है क्योंकि मिट्टी की ऊपरी परत की लगातार खुदाई से भूमि की उर्वरता कम होती जा रही है।
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प्रशासन की ढिलाई से बढ़ा माफिया का मनोबल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। पुलिस और प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण ही खनन माफिया इतने बेखौफ होकर रात में खेतों में घुसकर खनन कर रहे हैं।
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क्या होगी अब कार्रवाई?
अब देखने वाली बात यह है कि SP और SDM द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद वास्तव में कोई ठोस कार्यवाही होती है या नहीं। क्या पीड़ित किसान को न्याय मिलेगा? क्या दोषियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाएगा या फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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निष्कर्ष:
तुलसीपुर माझा में हुई यह घटना न सिर्फ प्रशासन की विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आम आदमी को अपनी जमीन और अधिकारों की रक्षा के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। अब लोगों को उम्मीद है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों को सजा दिलाएगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाएगा।
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