रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स
रायबरेली के सतांव स्थित गन्ना कांटा मैदान आज उस दृश्य का गवाह बना, जो किसी भव्य मेले से कम नहीं था। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुए इस विशाल आयोजन में पूरे जिले से पहुंचे 288 निर्धन जोड़ों ने अपना नया जीवन शुरू किया। मैदान में लगे सजे–संवरे मंडप, रंगीन रोशनियाँ, सजावट और हजारों लोगों की मौजूदगी ने समारोह को एक भव्य सामाजिक पर्व का रूप दे दिया।
सबसे खास बात यह रही कि 288 में से 287 जोड़ों का विवाह वैदिक मंत्रों के बीच सात फेरों के साथ सम्पन्न हुआ, जबकि एक मुस्लिम जोड़े का निकाह मौलवी की मौजूदगी में पूरा कराया गया। दो धर्मों के विवाह रस्मों का एक ही पंडाल में सम्पन्न होना सामाजिक सद्भाव और आपसी सम्मान की ऐसी मिसाल पेश करता है जो आज के समय में बेहद दुर्लभ है। एक ओर मंडपों में ‘स्वधा–स्वाहा’ की ध्वनि गूंज रही थी, वहीं दूसरी ओर ‘कबूल है’ की आवाज़ें सामाजिक एकता की खूबसूरती को और निखार रही थीं।
जिले के सभी विकासखंडों से आए नवदंपतियों और उनके परिजनों ने इस समारोह को भावुकता और खुशी से भर दिया। हर दुल्हन नए जीवन की चमक में दमक रही थी, जबकि दूल्हे भी पारंपरिक परिधान में गर्व के साथ अपने मंडप की ओर कदम बढ़ा रहे थे। माताओं की आँखों में नमी थी, पर दिल गर्व से भरा हुआ—क्योंकि उनकी बेटियों की शादी सम्मानपूर्वक और बड़े आयोजन में सम्पन्न हो रही थी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सभी जोड़ों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए न केवल आर्थिक सहयोग दे रही है, बल्कि यह सुनिश्चित कर रही है कि उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ विदा किया जाए। उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा—“सरकार अब घर भी दे रही है और घरवाली भी”—जिस पर समारोह में मौजूद लोगों में मुस्कान फैल गई।
मंत्री ने नवविवाहितों से कहा कि विवाह केवल रस्म नहीं, बल्कि दो जीवनों के बीच शुरू होने वाली ज़िम्मेदारियों का बंधन है। सात फेरों के सात वचन जीवन को संभालने के आधार हैं, इसलिए सम्मान, संवाद और सहयोग ही गृहस्थ जीवन की असली नींव है। उन्होंने बताया कि सामूहिक विवाह योजना समाज को जोड़ने, भेदभाव मिटाने और गरीब परिवारों को सहारा देने का एक मजबूत माध्यम बन चुकी है।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी हर्षिता माथुर और पुलिस अधीक्षक डॉ यशवीर सिंह भी मौजूद रहे। दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी नवविवाहितों को आशीर्वाद दिया और आयोजन की व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पैमाने पर विवाह कराना आसान नहीं होता, पर प्रशासन और समाज कल्याण विभाग की संयुक्त टीम ने इसे सुव्यवस्थित, सुरक्षित और गरिमापूर्ण तरीके से सम्पन्न कराया।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े पर सरकार का 1 लाख रुपये का निश्चित व्यय किया जाता है। इसमें 60 हजार रुपये सीधे दुल्हन के बैंक खाते में भेजे जाते हैं, जिससे वह भविष्य की जरूरतों और गृहस्थ जीवन की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। 25 हजार रुपये की उपहार सामग्री—जैसे बर्तन, चादरें, कपड़े, इलेक्ट्रिक सामान और गृहस्थी की जरूरत की चीजें—सरकार की ओर से दी जाती हैं। शेष 15 हजार रुपये आयोजन, मंच, भोजन और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किए जाते हैं। कई परिवारों ने कहा कि यह योजना न होती तो उनकी बेटियों का विवाह कराना वर्षों तक संभव नहीं था।
कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक तैयारी की गई थी। विशाल पंडाल के चारों ओर टेंट, मंडप, कुर्सियाँ, भोजन व्यवस्था और पानी की सुविधा इतनी व्यवस्थित थी कि हर व्यक्ति को लगा मानो वह किसी बड़े पारिवारिक समारोह में शामिल है। मंडपों में बैठे पुरोहित और मौलवी अपनी-अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार शादी की रस्में पूरी करा रहे थे, और लोग अपने मोबाइल कैमरों में इस खुशी को कैद करते जा रहे थे।
पूरे समारोह में भाजपा और प्रशासनिक अधिकारियों की बड़ी संख्या मौजूद रही। सीडीओ अंजुलता, जिला समाज कल्याण अधिकारी सृष्टि अवस्थी, भाजपा जिलाध्यक्ष बुद्धिलाल पासी और डीपीओ जयपाल वर्मा ने भी मंच पर आकर जोड़ों को आशीर्वाद दिया और कार्यक्रम को सफल बताया। उनका कहना था कि इस आयोजन ने न केवल सरकारी योजना को धरातल पर उतारा, बल्कि गरीब परिवारों के चेहरों पर सच्ची मुस्कान भी लाई।
जब मंडपों से नवविवाहित जोड़े हाथों में हाथ डाले बाहर निकलते थे, तो लोगों की तालियाँ गूंज उठती थीं। परिवारजन उन्हें फूलों की बौछार से आशीर्वाद देते थे। खुशी और भावुकता का यह मिश्रण मैदान को एक अनोखा दृश्य बना रहा था।





