पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर जेल में हमला, रायबरेली में प्रजापति समाज का हंगामा

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, कड़क टाइम्स

रायबरेली। उत्तर प्रदेश की सियासत में लंबे समय तक सक्रिय रहे और कैबिनेट मंत्री के पद पर रह चुके माननीय गायत्री प्रजापति पर जेल के अंदर हाल ही में जानलेवा हमला किया गया। इस घटना ने न सिर्फ उनके समर्थकों को बल्कि पूरे प्रजापति समाज को झकझोर कर रख दिया है। लगभग 8 से 9 वर्षों से निरंतर जेल में बंद गायत्री प्रजापति पर अचानक हुए इस हमले की खबर सामने आते ही समाज में गुस्से की लहर दौड़ गई। लोगों का कहना है कि जब जेल जैसी सुरक्षित जगह पर भी एक बड़े नेता की जान खतरे में पड़ सकती है, तो आम आदमी की सुरक्षा की गारंटी कैसे होगी। इसी मुद्दे को लेकर रायबरेली में प्रजापति महासभा ने जोरदार धरना-प्रदर्शन किया और सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की।

कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महासभा के जिला अध्यक्ष अवधेश प्रजापति ने किया। इस मौके पर समाज के सैकड़ों लोग एकजुट होकर पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। कार्यक्रम में फतेहपुर से आए प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश प्रजापति ने भी भाग लिया और आंदोलन को मजबूती प्रदान की। वहीं जिला उपाध्यक्ष अनिल प्रजापति, लालजी प्रजापति, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र प्रजापति, पूर्व महामंत्री रामखेलावन प्रजापति, राकेश प्रजापति, रवि प्रजापति व राजेश प्रजापति समेत अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे।

धरना स्थल पर महासभा ने अपनी चार बड़ी मांगें रखीं। पहली मांग है कि पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को तुरंत पैरोल पर रिहा किया जाए। दूसरी, जेल में उनकी सुरक्षा को उच्च स्तर पर सुनिश्चित किया जाए। तीसरी, इस घटना की निष्पक्ष जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट से कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। चौथी, जेलों में अतिरिक्त सुरक्षा कक्षा स्थापित की जाए ताकि बाहरी असामाजिक तत्व परिसर में प्रवेश न कर सकें।

धरने के दौरान अनिल प्रजापति ने कहा कि अगर सरकार ने इन मांगों पर त्वरित कार्रवाई नहीं की तो महासभा गाँव-गाँव जाकर जनजागरण अभियान चलाएगी और एक विशाल सभा का आयोजन कर सरकार की नाकामियों को जनता के सामने उजागर करेगी। उनका कहना था कि यदि जेल के भीतर भी दलित, पिछड़े और आदिवासी वर्ग सुरक्षित नहीं हैं तो यह लोकतंत्र और कानून व्यवस्था की बड़ी असफलता है।

धरने के दौरान समाज के लोगों का आक्रोश साफ नजर आया। कई लोगों ने कहा कि यह हमला किसी सामान्य विवाद का नतीजा नहीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश हो सकती है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि गायत्री प्रजापति वर्षों से जेल में बंद रहते हुए भी समाज की आवाज़ बने हुए हैं और यही वजह है कि उन पर हमला कराया गया। भीड़ में शामिल युवाओं ने कहा कि अगर सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले दिनों में आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल जाएगा।

धरना स्थल पर लोगों ने जोरदार नारेबाजी की – “गायत्री जी को न्याय दो, समाज की आवाज़ को दबाना बंद करो”, “जेल प्रशासन जिम्मेदार है”, और “अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”। इसके बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की गई।

धरने में शामिल युवाओं ने कहा कि यह लड़ाई अब सिर्फ गायत्री प्रजापति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले समय में गाँव-गाँव में जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा और एक बड़े स्तर पर महासभा का आयोजन कर सरकार को आईना दिखाया जाएगा। उनका कहना था कि अगर सरकार ने लापरवाही दिखाई तो आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल जाएगा और राजनीतिक हलचलों को प्रभावित करेगा।

फिलहाल सरकार की ओर से इस घटना पर कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन जिस तरह से रायबरेली और आसपास के जिलों में समाज के लोग गुस्से में हैं, उससे साफ है कि यह मामला जल्द ही और बड़ा रूप ले सकता है। प्रजापति समाज का कहना है कि उनकी लड़ाई शांतिपूर्ण होगी, लेकिन अगर न्याय की आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई तो वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।

गायत्री प्रजापति पर जेल में हुआ हमला न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा पर सवाल उठाता है बल्कि पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि सरकार समाज की इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या पूर्व मंत्री को न्याय दिलाने के लिए त्वरित कदम उठाए जाते हैं। रायबरेली का यह धरना इस समय प्रदेश की सियासत और समाज दोनों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकते हैं।


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