रायबरेली: लेखपाल पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप, पुलिस पर कार्रवाई दबाने का आरोप, पीड़िता बोली – इंसाफ चाहिए, साजिश नहीं!

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रिपोर्ट: संदीप मिश्रा | रायबरेली, उत्तर प्रदेश | कड़क टाइम्स 

रायबरेली (3 अगस्त 2025):

डलमऊ थाना क्षेत्र के चक मलिक भीटी गांव में एक महिला ने लेखपाल पंकज वर्मा, रिंकू लोध और एक अज्ञात व्यक्ति पर घर में घुसकर जबरदस्ती करने का प्रयास करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है।

महिला का कहना है कि 10 जुलाई की रात करीब 10 बजे आरोपी उसके घर में जबरन घुसे और दुष्कर्म की कोशिश की। जब उसने विरोध किया तो न केवल उसके साथ, बल्कि उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी मारपीट की गई।


FIR दर्ज करने में पुलिस की टालमटोल, धारा भी कमजोर लगाई

पीड़िता का दावा है कि जब उसने थाने में तहरीर दी, तो पुलिस ने दुष्कर्म के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं लगाने के बजाय सिर्फ मारपीट की धारा लगाकर मामला दर्ज कर लिया — वो भी एक हफ्ते बाद।

महिला का आरोप है कि पुलिस ने उसकी तहरीर से छेड़छाड़ करते हुए जानबूझकर मामला हल्का बनाया ताकि आरोपी बच सकें।


IGGRS रिपोर्ट में रिश्तों की कहानी, पीड़िता ने उठाए सवाल

पीड़िता ने जब पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी से शिकायत की तो पुलिस ने IGGRS पोर्टल पर जो रिपोर्ट लगाई, उसमें लिखा गया कि पीड़िता और रिंकू लोध के “अच्छे संबंध” थे और इसी कारण झगड़ा हुआ।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पीड़िता और लेखपाल पंकज वर्मा की पत्नी के बीच भी सौहार्दपूर्ण संबंध थे और यह मामला “पारिवारिक रंजिश” का परिणाम हो सकता है।

लेकिन पीड़िता ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ सच को दबाने और आरोपी को बचाने की कोशिश है। उसने कहा, “अगर सब कुछ ठीक था, तो फिर रात 10 बजे तीन लोग मेरे घर में क्यों घुसे?”


लेखपाल की पत्नी खुद लेकर आई थी 112 की टीम

पीड़िता ने दावा किया कि घटना के बाद खुद लेखपाल पंकज वर्मा की पत्नी 112 नंबर की पुलिस के साथ उसके घर आई थी और पूछ रही थी कि क्या वाकई उसका पति उस रात वहां था। महिला ने उस समय ही पूरी घटना बताई थी।

फिर भी पुलिस ने इस जानकारी को नजरअंदाज करते हुए गांव के कुछ लोगों के बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर दी, जिसमें घटना को “झूठा” करार दिया गया।


गांव वालों के बयान पर उठे सवाल

पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में गांव के कुछ लोगों के बयान और उनके आधार कार्ड को प्रमुख साक्ष्य के रूप में जोड़ा है। लेकिन पीड़िता का सवाल है – “जब रात 10 बजे यह घटना हुई, तो गांव के लोग मेरे घर के बाहर क्या कर रहे थे? क्या वे पहले से जानते थे कि क्या होने वाला है?”

महिला ने यह भी आरोप लगाया कि यह पूरी घटना पहले से रची गई साजिश का हिस्सा हो सकती है जिसमें आरोपी और कुछ गांव वाले भी शामिल हो सकते हैं।


अज्ञात आरोपी का अब तक नहीं हुआ खुलासा

घटना में एक तीसरे व्यक्ति की भूमिका भी सामने आई है जिसकी अब तक पहचान नहीं हो सकी है। महिला का आरोप है कि यह व्यक्ति शायद वही है जो पुलिस और आरोपियों के बीच संपर्क बनाकर उन्हें “पाक-साफ” दिखाने की कोशिश कर रहा है।


पीड़िता ने निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग की

महिला ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि:

  • जांच किसी अन्य थाने या स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए
  • गवाहों की निष्पक्षता की जांच हो
  • आरोपी लेखपाल और उसके सहयोगियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए
  • उसे और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा दी जाए

उसका कहना है कि आरोपी और उनके समर्थक उस पर दबाव बना रहे हैं और हमला करने की भी आशंका है।


कानून और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल

यह मामला महिला सुरक्षा, पुलिस की निष्पक्षता और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है। भारतीय कानूनों के मुताबिक, यदि महिला दुष्कर्म या उसके प्रयास की सीधे तौर पर शिकायत करती है, तो पुलिस को तत्काल FIR दर्ज करनी होती है। साथ ही पीड़िता का मेडिकल, 164 CrPC के तहत बयान और आरोपी की गिरफ्तारी प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

डलमऊ पुलिस ने इन सभी कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी कर यह दिखा दिया कि सत्ता और संपर्क वाले लोग आज भी कानून से ऊपर हैं।


सोशल मीडिया पर उबाल, #JusticeForVictim हुआ ट्रेंड

इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। ट्विटर और फेसबुक पर #JusticeForVictim और #DalMauPoliceInjustice जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। यूजर्स पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं और यूपी सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


निष्कर्ष:

यह कोई साधारण मामला नहीं है। यह एक महिला की अस्मिता, कानून के शासन और समाज में महिलाओं की स्थिति से जुड़ा प्रश्न है। यदि पुलिस ही आरोपियों के पक्ष में खड़ी हो जाए तो पीड़िता न्याय के लिए कहां जाए?

प्रशासन को चाहिए कि वह निष्पक्ष जांच कर इस मामले में दोषियों को सख्त सजा दिलाए और महिला को न्याय दिलाए, ताकि बाकी महिलाएं भी सिस्टम पर भरोसा कर सकें।


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