
रिपोर्ट: माया लक्ष्मी मिश्रा | रायबरेली, उत्तर प्रदेश | Kadak Times
रायबरेली, 3 अगस्त 2025:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद रायबरेली का उप संभागीय परिवहन विभाग हरकत में आ गया है। अब जिले में चलने वाली स्कूल बसों और वैन के ड्राइवरों के चरित्र का सत्यापन शुरू कर दिया गया है। इस अभियान का उद्देश्य स्कूली बच्चों की सुरक्षा को सर्वोपरि बनाना है।
इस विशेष मुहिम का संचालन एआरटीओ यातायात की एक संयुक्त टीम द्वारा किया जा रहा है, जिसमें वाहन चालकों का पुलिस रिकॉर्ड, आपराधिक इतिहास और न्यायालयीन मामले तक की गहन जांच की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने वाले व्यक्ति किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि से ना हों।
सत्यापन क्यों जरूरी?
पिछले कुछ वर्षों में स्कूल वैन चालकों से जुड़े आपराधिक मामलों ने प्रशासन और अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी थी। कई घटनाएं ऐसी सामने आईं जिनमें बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या लापरवाही की वजह से गंभीर परिणाम देखने को मिले। इसी को ध्यान में रखते हुए अब शासन ने सभी स्कूल वाहन चालकों के पुलिस से प्रमाणित चरित्र सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है।
कहां-कहां चला अभियान?
रायबरेली शहर के विभिन्न इलाकों और स्कूलों में यह विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें खासतौर पर उन स्कूलों को प्राथमिकता दी गई जो निजी वाहनों से ट्रांसपोर्ट की सुविधा लेते हैं। कई चालकों के कागजात और पहचान पत्र onsite चेक किए गए, और जिनका सत्यापन नहीं हुआ, उन्हें तुरंत सेवा से हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
एआरटीओ यातायात का बयान:
एआरटीओ यातायात अधिकारी ने स्पष्ट किया: “बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई भी ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ड्राइवरों के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच अनिवार्य है। अगर कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
अभिभावकों को क्या मिलेगा लाभ?
- बच्चों की यात्रा होगी अधिक सुरक्षित
- ट्रांसपोर्ट सेवा होगी जवाबदेह
- संदिग्ध या आपराधिक तत्वों से दूरी
- स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी तय
निष्कर्ष:
रायबरेली में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर यह कार्यवाही एक अहम और समय पर उठाया गया कदम है। प्रशासन यदि इसी तत्परता से सत्यापन की प्रक्रिया को जारी रखता है, तो यह कदम जिले में स्कूल ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने में मददगार साबित होगा।