रायबरेली नगर पालिका में गरमा गरमी: अध्यक्ष ने सभासदों पर लगाए गंभीर आरोप, सुरक्षा की मांग के साथ FIR की मांग

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संदीप मिश्रा, रायबरेली

रायबरेली।
नगर पालिका परिषद रायबरेली की हालिया बोर्ड बैठक राजनीति और व्यक्तिगत टकराव का अखाड़ा बन गई। एक तरफ जहां पालिका अध्यक्ष शत्रोहन लाल सोनकर ने सभासदों पर जातिसूचक टिप्पणियों, मारपीट की धमकी और शराब के नशे में बैठक में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर सभासदों का पक्ष फिलहाल चुप है।

बोर्ड मीटिंग में हुआ हंगामा
नगर पालिका के बोर्ड हॉल में हुई बैठक में कुल 34 सभासद मौजूद थे। जैसे ही प्रधान लिपिक आशुतोष सिंह ने बैठक का एजेंडा पढ़ना शुरू किया, उसी समय कुछ सभासदों द्वारा अध्यक्ष के खिलाफ विरोध शुरू हो गया। हंगामा इतना बढ़ गया कि कार्यवाही ठप हो गई और मामला पुलिस तक पहुंच गया।

किन सभासदों के नाम सामने आए?
पालिका अध्यक्ष ने अपनी शिकायत में जिन नामों का उल्लेख किया है उनमें जय वर्मा, संतीश मिश्रा, रोहित पांडेय, मोहित सिंह, संजय श्रीवास्तव, कमरूउद्दीन, पंकज साहू, सुशील घनगर के अलावा पूर्व सदस्य अमर चौधरी और एस.पी. सिंह शामिल हैं। महिला सभासदों में श्रवण कुमार, सुनीता पाल और पुष्पा यादव का भी जिक्र किया गया है।

अध्यक्ष ने लगाए जातिसूचक अपशब्दों के आरोप
शिकायत के मुताबिक, हंगामे के दौरान सभासदों ने अध्यक्ष को जातिसूचक गालियां दीं और ‘खटिक’ व ‘दलित’ जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। यही नहीं, उन्होंने अध्यक्ष को धमकी दी कि वह अध्यक्षीय कार्य नहीं करने देंगे और जान से मारने तक की बात कही गई।

शराब पीकर पहुंचे सभासद?
अध्यक्ष सोनकर का आरोप है कि जय वर्मा और रोहित पांडेय शराब के नशे में मीटिंग में शामिल हुए और उन्होंने न केवल अध्यक्ष को गालियां दीं, बल्कि बोर्ड की गरिमा को ठेस पहुंचाई। इस व्यवहार से न केवल बैठक बाधित हुई बल्कि पूरे नगर विकास की योजनाएं भी अटकी रह गईं।

पूर्व में भी हंगामे के कारण अधूरी रही बैठकें
यह पहली बार नहीं है जब रायबरेली नगर पालिका की बैठक में ऐसा विवाद सामने आया हो। अध्यक्ष का कहना है कि यही कुछ सभासद बार-बार बैठक को बाधित करते हैं, जिससे बोर्ड की कार्यवाही अधूरी रह जाती है और जनहित के कार्यों पर असर पड़ता है।

FIR की मांग और सुरक्षा की गुहार
इन सब घटनाओं को देखते हुए पालिका अध्यक्ष ने रायबरेली पुलिस प्रशासन से FIR दर्ज करने और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भविष्य में उनके साथ कोई घटना घटती है, तो इसके जिम्मेदार उक्त सभासद और उनके सहयोगी होंगे।

अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ विवाद
बैठक में मौजूद अधिशासी अधिकारी स्वर्ण सिंह, कर निर्धारण अधिकारी ललितेश सक्सेना समेत कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम के साक्षी बने। इससे यह स्पष्ट है कि मामला केवल आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक दस्तावेजों और चश्मदीदों के ज़रिए भी जांच का विषय बन सकता है।

जनता के बीच चर्चाओं का दौर
घटना के बाद शहर भर में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सोशल मीडिया पर लोग नगर पालिका के इस आचरण पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग इसे सत्ता का दुरुपयोग मान रहे हैं, तो कुछ अध्यक्ष को निर्दोष बताते हुए सभासदों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

राजनीतिक रंग ले सकता है मामला
नगर निकाय चुनावों के चलते पहले से ही माहौल गर्म है और ऐसे में इस घटना का राजनीतिक फायदा या नुकसान भी हो सकता है। यदि FIR दर्ज होती है और सभासदों पर कार्रवाई होती है, तो इसका सीधा असर आगामी निकाय राजनीति पर दिख सकता है।

कानूनी दृष्टिकोण से क्या हो सकता है?
यदि अध्यक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि होती है, तो IPC की धारा 504 (शांति भंग करना), 506 (आपराधिक धमकी) और SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(r) और 3(2)(v) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, शराब सेवन करके सरकारी मीटिंग में शामिल होने पर भी दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।


निष्कर्ष

रायबरेली नगर पालिका परिषद की यह घटना केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि स्थानीय लोकतंत्र के स्वरूप को चुनौती देने जैसा है। यदि ऐसे हालातों को समय रहते नहीं सुधारा गया, तो न केवल बोर्ड की गरिमा को ठेस पहुंचेगी बल्कि जनता के विकास कार्य भी अधर में लटक जाएंगे।


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