Kadak Times

विश्व पर्यावरण दिवस पर रतनपुर में वृक्षारोपण कार्यक्रम, गंदगी देख भड़के मंत्री प्रतिनिधि कमलेश पांडे

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रतनपुरा | 05 जून 2025

रिपोर्टर: सुरेन्द्र शर्मा, कड़​क टाइम्स

रतनपुरा के प्राइमरी विद्यालय में बुधवार को आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम ने पर्यावरण प्रेम और जनभागीदारी का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। विश्व पर्यावरण दिवस, गंगा दशहरा, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिवस के अवसर पर “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत क्षेत्र में वृहद वृक्षारोपण किया गया।

इस अवसर पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया के प्रतिनिधि कमलेश पांडे विशेष रूप से पहुंचे और औषधीय एवं छायादार वृक्षों का रोपण कर संदेश दिया कि “वृक्षारोपण केवल एक दिन का काम नहीं, यह प्रकृति के प्रति हमारी दीर्घकालिक ज़िम्मेदारी है।”


राजा भैया का दृष्टिकोण: “हर गाँव बने हरित ग्राम”

कीर्तिवर्धन सिंह ने क्षेत्र के ग्रामीणों को पेड़-पौधों से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा:

“विकसित भारत तभी संभव है जब गाँव की मिट्टी, जल और वायु संरक्षित रहें। हर नागरिक को कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए और उसकी देखभाल माँ के समान करनी चाहिए।”

उनकी प्रेरणा से ग्राम पंचायत रतनपुरा, परसा तिवारी और सेहरिया में आम, नीम, पीपल और कालमेघ जैसे पौधों का रोपण किया गया।


जब कमलेश पांडे ने देखा स्कूल परिसर की गंदगी

कार्यक्रम के बाद जब कमलेश पांडे ने विद्यालय परिसर की साफ़-सफाई की स्थिति देखी, तो उन्होंने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा:

“वृक्षारोपण तभी सार्थक होगा जब वातावरण स्वच्छ हो। गंदगी और हरियाली एक साथ नहीं चल सकती।”

इसपर ब्लॉक शिक्षा सचिव रविकांत यादव ने स्पष्ट निर्देश दिया कि

“तेंतीस घंटे के भीतर विद्यालय परिसर स्वच्छ दिखना चाहिए, अन्यथा संबंधितों पर कार्यवाही तय है।”


पंचायत की नई पहलें

  1. हर शनिवार स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा
  2. प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र की दिशा में कदम
  3. ग्राम स्तर पर ‘पौधा मित्र’ बनाकर देखरेख की ज़िम्मेदारी तय
  4. गांव-गांव जनजागरूकता रैली का आयोजन

कीर्तिवर्धन सिंह के विजन की झलक


निष्कर्ष

रतनपुरा का यह आयोजन केवल एक रस्मी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह बदलाव की चेतना का संचार है। कीर्तिवर्धन सिंह जैसे जनप्रतिनिधियों की दूरदृष्टि और जमीनी कार्यकर्ताओं की सक्रियता मिलकर पर्यावरणीय जागरूकता को जन-आंदोलन का रूप दे रही है।

“प्रकृति के साथ संतुलन ही सच्चा विकास है।” — कीर्तिवर्धन सिंह


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